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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Inspirational

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Inspirational

जीवन यात्रा

जीवन यात्रा

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ये कैसी जीवन की यात्रा,

जिसमें खुद को होश नहीं है।।

खुद का ही नुकसान करे तू,

बिल्कुल भी तो जोश नहीं है।।


समय सारणी रोज बनाता,

काम करूँ ना गन्दा।

फिर से दलदल में फंस जाता

ये है मोहजाल का फंदा।।

खुद ही राह बिगाड़े अपनी

और किसी को दोष नहीं है।।

ये कैसी जीवन की यात्रा ,

जिसमें खुद को होश नहीं है।।


नमकहरामी करता फिरता,

मन्दिर में माथा टेके।

दिन में बड़ा शहंशाह है तू,

रात को जाता ठेके।

खुद ही बात बिगाड़े अपनी,

और किसी को दोष नहीं है।।

ये कैसी जीवन की यात्रा ,

जिसमें खुद को होश नहीं है।।


लाख चौरासी बाद मिला है,

जीवन मानव तन का।

कदर करे नहीं तू 'सुओम' की,

दास बना है धन का।

खुद ही रूह बिगाड़े अपनी,

और किसी को दोष नहीं है।।

ये कैसी जीवन की यात्रा ,

जिसमें खुद को होश नहीं है।।



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