जीवन साधना
जीवन साधना
क्या ढूंढते धरती में इसमें,
सब ही माटी मोल है,
देखो सदा ऊपर गगन,
कितना वृहत् अनमोल है।
व्योम की इस दिव्यता में,
हो अकल्पित साधना,
और धरा के मोह से,
ऊपर उठी हो कामना।
रवि किरण सम् दिक् दिशा में,
बात ये सूचित रहे,
छू लेंगे एक दिन आसमां,
ये आग भी प्रज्वलित रहे।
न झुकें नज़रें कभी भी,
ढूँढने माटी के कण,
हों निगाहें स्वर्ग पर,
ये आज से हो अपना प्रण।
उत्तुंग शिखर छूने चलें,
बंधन हमें ना बाँध ले,
अपने इरादों से चलो,
अम्बर क्षितिज को नाप लें।
चलते रहें बढ़ते रहें,
रुके न जीवन का सफ़र,
पा लेंगे मंज़िल एक दिन,
चाहे कठिन कितनी डगर।
कठिनाइयों से ना डिगें,
विश्वास ना टूटे कभी,
कंटकों को चीरते,
आगे बढ़ें पथ में सभी।
