जीवन-मृत्यु
जीवन-मृत्यु
ज़िंदगी का वास्ता है मौत से,
फिर मौत से बचना कहां,
मृत्यु है एक सत्य तो फ़िर,
सत्य से छुपना कहां,
यात्रा का अंत ना पर,
मौत के आगोश में,
तब मौत के आगोश में,
रुकना कहां थकना कहां,
ये एक पड़ाव यात्रा में,
कुछ पल का है विश्राम भी,
नव जीवन के आरंभ का,
ये भूत भी वर्तमान भी,
सदियों से ये दो चल रहे,
अस्तित्व इनका साथ में,
एक हाथ में है ज़िन्दगी तो,
मौत दूजे हाथ में,
पर्याय एक दूजे का हैं,
पर्याय से डरना कहां,
मृत्यु है एक सत्य तो फ़िर,
मृत्यु से बचना कहां।
