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Neelam Sharma

Fantasy

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Neelam Sharma

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जीवन मंत्र

जीवन मंत्र

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कुकुभ छंद

30 मात्रा प्रति चरण 

16+14 यति

चरणांत दो गुरु उससे पूर्व दो लघु वर्ण होने चाहिए।

         ---------

(१)

बोध नहीं था विलग विरह का! 

रखना संयम हिय होगा।

लगा देह में क्या घुन, मेरी,

कौन जन्म का यह भोगा?


तिनका -तिनका बिखर रही है,

न मिलन की आस पिया से।

विरह वहिन है स्व-संताप पर,

निकल रही, आह हिया से!।।


कुहुक कोकिला,रिमझिम बरखा,

 मधु सावन नहीं सुहाता!

अपलक बैठी बाट जोहती,

कण- कण उर धीर बँधाता ।।


वृंदावन पथ काँटे बिखरे,

हिय की लतिका कुम्हलाई।

विरह तपन से उपवन सूखे!,

 शुष्क हुई भू तरुणाई !।।


सीता-उर्मिल,रुक्मणि- राधा, 

मृग, यशोधरा, दृग रीते ।

हेमंत,शिशिर,वसंत,सावन!,

रो- रो रैन- दिवस बीते।।


प्रणय -विरह की पुष्प- वल्लरी,

नयनन के अँसुवन सींचे !

अब तो दर्श दिखा दो कान्हा

 बैठे क्यों तुम दृग मींचे ?।।


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