जीवन का एहसास हो तुम
जीवन का एहसास हो तुम
प्यार का बहता स्वरूप झरनों की मीठी प्यास हो तुम,
अनमोल और अनूठा सा बंधन हमारा विश्वास हो तुम,
दिल में वो जगह आज भी खाली है बस तुम्हारे लिए,
इस सूने से मन में प्रिय मेरे जीवन का एहसास हो तुम,
तुम्हारी आहट से सूने उपवन में भी फूल खिल जाते हैं,
वन उपवन में महकते फूलों पर छाया वो बसंत हो तुम,
मंद-मंद बहती हवा तुम्हारे आने का एहसास दिलाती है,
अरुण किरण की चमकती लौ-सी उज्जवल भोर हो तुमI
स्वप्न पलकों पर धरकर जब - जब याद तुम यूँ आते हो,
खुली नैनों से तुम्हें जब निहारता धीमे से मुस्काते हो तुम,
अपने मूक नयनों से जब भी तुम हमें यूँ इशारे करती हो,
नयनों के गुलशन से प्यार का नेह हम पर बरसाते हो तुमI
मोती बिन सीप नहीं बना, बिन साथी जीवन नहीं कटता,
जीवन में आकर मेरे बेचैन नैनों की प्यास बुझाते हो तुम ,
तुम्हारा ही इंतजार है हमें ,तुम आ जाओ बस पास हमारे,
सूनी पड़ी बगिया में महकते उन फूलों को सजाते हो तुम I