जीवन एक प्रवाह है
जीवन एक प्रवाह है
समय के साथ साथ एक निश्चित दूरी तक
एक अविरल प्रवाह है जीवन।
जैसे इस दुनिया में एक मुकम्मल दुनिया
खुद में खोया खोया,
शब्दों का बोझ उठाये,
युद्ध की उलझन को आत्मसात कर
दिशाओं के भटकाव में
जीवन की दिशा में अग्रसर है।
कहते हैं लोग, समय नहीं रूकता है
जिंदगी भी कहाँ रुकी है,
गुजर रही है कि
और लग रहा है समय रुका हुआ है
लालायित देखने को जीवन का प्रवाह।
भाव हैं
भावों का बाजार है
जरूरते हैं जिस्म की
उसका भी एक बाजार है
एक व्यवस्था है वो भी बाजार बन गयी है
और एक और व्यवस्था बन रही है
जहाँ विचार विज्ञापन की तरह
झूला झूल रहे हैं
सफलता मन्जिल बन गयी है
और जीवन गुजर रहा है
इनके बीच से सहजता के साथ।
झेलता हुआ अनगिन तूफान
अनगिन प्रहार।
युद्ध है, शांति है
नफरत है प्यार है
उमंग है, उत्साह है
निराशा का जंगल है
रेगिस्तान है, बहार है
हर हाल में सुंदर
सम्भावनाओं की दस्तक से अभिभूत
उनकी तरफ बहता हुआ चला जा रहा है जीवन।
जब जेहन में मंजिल नही होती
बेगानापन सा होता है रूबरू हो लेता है
खुद से
और बिना रुके
बिना थके,
अपने प्रवाह में निरन्तर है।
