जीवन एक अंतहीन यात्रा
जीवन एक अंतहीन यात्रा
सारे बंधन तोड़, ये पंछी उड़ना चाहे
अंतहीन ब्रह्मांड लीन ये होना चाहे
कठपुतली के चेहरे और
चेहरे पर चेहरे
फीकी ये मुस्कान कभी
ना सहना चाहे
सारे बंधन तोड़, ये पंछी उड़ना चाहे
अंतहीन ब्रह्मांड लीन ये होना चाहे
भीड़ भरे बाज़ारों में भी
तन्हा मन ये
अपनो से है घिरा मगर
कब संभला मन ये !
गलियाँ, बस्ती, छोड़ मुल्क -
ये तरना चाहे
सारे बंधन तोड़,
ये पंछी उड़ना चाहे
अंतहीन ब्रह्मांड
लीन ये होना चाहे।
कैसी दुनिया अजब-ग़ज़ब
दस्तूर निराले
अपना कहकर छुरा भोंकते
चोर हैं काले
चेहरों के दर्पण से
अब ये तर्पण चाहे
सारे बंधन तोड़, ये पंछी उड़ना चाहे
अंतहीन ब्रह्मांड लीन ये होना चाहे।
जब तक पैसा, स्वास्थ
ये दुनिया साथ तुम्हारे
लेता करवट वक़्त
बिना कुछ करे इशारे
साया भी तब साथ छोड़ के
करे किनारे
सारे बंधन तोड़,
ये पंछी उड़ना चाहे
अंतहीन ब्रह्मांड
लीन ये होना चाहे।