जी ले जरा
जी ले जरा
नाराज न हो खुद से यूं
कर बेख़ौफ़ आसमा मुठ्ठी में
कौन रोकेगा तुझे आगे जाने से
है किसमें इतनी हिम्मत ?
न रोक कदम यू जो
बढ़ चले है मंजिल की ओर
निकाल फेंक इस डर की वजह
कर तू भी आगाज़ अब ..
चल उठ जी ले बेख़ौफ़ अब
क्यूँ यूँ पाले भ्रम के हो दुर्बल
कोई आयेगा बचाने तुझे
उम्मीद भी न कर इन खोखले जमाने से
रोक के रख सूरज पे नजर ..
कह दे उसे भी जो मन में है तेरे
अफसोस न जता इस तरह से
जिन्दा हूँ इसका गम ना कर
न हो सका किसी की "खुशी "
किसी के आँसू की वजह न बन
चल उठ कर आगाज तू जीने का
कर फतेह हर काल की घड़ी
तू महज एक हुस्न नहीं..है
तू ही है वह ताकत.. जमाने की भी
अपनी भी ताकत बन अब तू ही ..
चल जी ले तू भी अपनी जिंदगी.....