ज़िद
ज़िद
नींदों से मुहब्बत करना छोड़ दिया हमने
राहों को मंजिल देना सीख लिया हमने,
रुकने की आदत नहीं बनानी है हमें
अब ख्वाहिशों को पूरा करने की ज़िद है हमें।
खुद के कमजोरियों को छुपाया है हमने
बड़ो के बातों को समझा है हमने,
किसी के सामने नहीं झुकना है हमें
अब ख्वाहिशों को पूरा करने की ज़िद है हमें।
खुद से लड़ने की ठान ली है हमने
आज़ाद है हार से ये मान लिया हमने,
ना सोचा कभी वो करना है हमें
अब ख्वाहिशों को पूरा करने की ज़िद है हमें।