आज़ादी
आज़ादी
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मेरे मंज़िलो पर सबकी नजर होगी
मैं बनूंगी क्या सबको इसकी खबर होगी,
मेरे हौसले को जितना दबाने की कोशिश होगी
मेरी उड़ान उनके सोच से भी ऊंची होगी,
मेरी मेहनत मेरा जुर्म और कुसूर होगा
मेरी सजा मेरे सपनो को भूल जाना होगा,
मैं टूट जाऊ यही सबकी एक चाहत होगी
पर टूट कर समेटने की मुझ में ताकत होगी,
मैं चलूंगी उसी राह पर जो सच्चाई को होगी
चाहे बिछा दो काटे पर दिल में ज़िद आज़ादी कि होगी।