झूठ
झूठ
झूठ एक ऐसा मायाजाल,
जिस में फंसते भी सब हैं,
और बुनते भी सब हैं
अपने लिए नहीं,
अपनों के लिए
सबकी जिंदगी में झूठ,
सब इससे हैं परेशान,
लेकिन झूठी तारीफ सुनने का
मोह छोड़ नहीं पाते,
अपना नाता झूठ से
वह तोड़ नहीं पाते,
एक गलती छिपाने को
बोलते हैं सो झूठ,
बस कर बंदे नहीं तो
1 दिन तू भी जाएगा टूट,
झूठी शान झूठी मुस्कुराहट
कब तक तू दिखाएगा,
1 दिन झूठ बोल बोल कर
तू भी थक जाएगा,
लेकिन है एक मजबूरी
लोगों को सच्चाई नहीं भाती,
अच्छे भले लोगों की अच्छाई नहीं भाती,
और एक सच यह भी है कि
दुनिया में लोग सच्चे नहीं मिलते,
जबान और दिल के साफ और
अच्छे लोग नहीं मिलते,
झूठ के दलदल में फंसकर
झूठा प्यार झूठा अपनापन दिखाओ,
झूठ के सहारे खुद को सबके आगे लाओ,
लेकिन यह याद रखो,
यह झूठ एक दिन तुम्हें तुम से ही छीन लेगा,
हो जाओगे अकेले मन और आत्मा से,
फिर भी दिखाओगे एक नकली झूठी मुस्कान,
क्योंकि झूठ का है एक मायाजाल
जिस में फसते भी सब हैं और
अपनों के लिए बुनते भी सब है।
