STORYMIRROR

Saini Nileshkumar

Tragedy

1  

Saini Nileshkumar

Tragedy

जेहनसीब जो रुठ गये

जेहनसीब जो रुठ गये

1 min
130

थम सी गई हैं घड़ियां मेरी 

जेहनसीब  ये रूठ गया, 

बिगड़ी है बात ऐसी 

की हर रात बिखरा के गया, 

तकरार हुए इस कदर की 

सारी तकदीरें बदल गई, 

गर्म हो गये है सारे रास्ते 

उनके खत की आग से, 

मिट रहे है सारे प्यार के नगमे 

उनके आँसुओं की जो बून्दें गिरीं, 

थम सी गई हैं घड़ियां मेरी

 जेहनसीब जो रूठ गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy