जेहनसीब जो रुठ गये
जेहनसीब जो रुठ गये
थम सी गई हैं घड़ियां मेरी
जेहनसीब ये रूठ गया,
बिगड़ी है बात ऐसी
की हर रात बिखरा के गया,
तकरार हुए इस कदर की
सारी तकदीरें बदल गई,
गर्म हो गये है सारे रास्ते
उनके खत की आग से,
मिट रहे है सारे प्यार के नगमे
उनके आँसुओं की जो बून्दें गिरीं,
थम सी गई हैं घड़ियां मेरी
जेहनसीब जो रूठ गया।
