STORYMIRROR

संजय असवाल "नूतन"

Abstract

4  

संजय असवाल "नूतन"

Abstract

जद्दोजहद जिंदगी की...

जद्दोजहद जिंदगी की...

1 min
211

किसी हसीन

परिंदे को उड़ते देखा है,

अपनों के लिए 

खास पलों को चुनते उसे देखा है,

देखी है 

उदासी और खुशी भी 

पल पल उसके चेहरे पर,

जब खयालों में 

उसे सपने बुनते देखा है।


उड़ते उड़ते 

ठिठकते

हुए भी देखा है

ऊंची उड़ानों में 

गिरते हुए भी देखा है,

उदास खामोश 

टुकुर टुकुर 

परेशान इधर उधर,

हर शाम में 

ढलते हुए उसे देखा है।।


बियांबान गहरी सोच में 

पड़े उसे देखा है,

वक्त के थपेड़ों में 

उलझते हुए देखा है,

सुबह से शाम तक 

बस हांफते हांफते,

जिंदगी की दौड़ में

कई बार उसे

जीतते हुए भी हारते देखा है।


परेशानियों में अक्सर 

मुस्कराते उसे देखा है,

छुप छुप कर 

आंसुओं में भीगते हुए भी देखा है,

जिंदगी जीने की चाह में 

अक्सर उसे 

मौत के लिए 

दुआ मांगते देखा है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract