जब जब मैंने तुझे लिखा
जब जब मैंने तुझे लिखा


इन पन्नो पर सँवरती गयी, जब जब मैंने तुझे लिखा।
हर हर्फ़ में यह सजती गयी, जब जब मैंने तुझे लिखा।
शृंगार तेरा, रूप तेरा, जब ये चंचल नयन लिखे।
स्याही मेरी निखरती गयी, जब जब मैंने तुझे लिखा।
तेरे नैनों के काजल से, लिखना जब जब चाहा है।
क्यों कलम जरा बहकती गयी? जब जब मैंने तुझे लिखा।
जब जब कुछ लिखता हूँ मैं तो, तुम आते हो ख्यालों में।
क्यों प्रेम मूरत दिखती गयी, जब जब मैंने तुझे लिखा।
इस कागज़ पर लिखित कविता, न सिर्फ कविता रूपी है।
कविता रूह में ढलती गयी,जब जब मैंने तुझे लिखा।
मन से मन का मेल लिखा है, प्रेम लिखा अपना सुंदर।
दुनिया किसलिए जलती गयी,जब जब मैंने तुझे लिखा।