अनकहे रिश्ते
अनकहे रिश्ते
जाने-अनजाने बन जाते हैं
कितने ही रिश्ते
भटकती राहों में दे जाते हैं
साथ कोई फ़रिश्ते
बिन रक्त संबंध बन जाते हैं
ये अनकहे रिश्ते
बिना नाम के कई नाम दे जाते हैं
ये अनजाने रिश्ते
झांककर मन की गहराई को
देख जाते हैं जीवन की तन्हाई को
नैनों से बहते जो अश्रु की धारा
भाव प्रेम के निर्मल बरसाते हैं
ये अनकहे रिश्ते।