Mohni Shriwas
Children
जामुन देखो काली काली,
लगी हुई है डाली डाली।
डाल पकड़कर इसे हिलाएं,
जामुन गिरती तब टप टप टप।
बीनो भाई झटपट झटपट,
चलो चलें अब नदी किनारे।
धो धोकर अब खाएँ प्यारे।।
साफ-सफाई और स...
आओ भैया पेड़ ल...
जामुन
फल
गुब्बारे वाला
सब्जी
मोर
गुणकारी सब्जि...
सब्जी वाला
दीवाली
वह बचपन की बातें बचपन की शरारतें याद आती है ना जाने क्यों दिल को हौले से गुदगुदा जाती वह बचपन की बातें बचपन की शरारतें याद आती है ना जाने क्यों दिल को हौले से गुदग...
वहाँ जाकर सारे उत्पाती बच्चों के टिफ़िन खा लिए। वहाँ जाकर सारे उत्पाती बच्चों के टिफ़िन खा लिए।
क्या होगा उसका और कैसे होगा। दिमाग में सबके ये सवाल था क्या होगा उसका और कैसे होगा। दिमाग में सबके ये सवाल था
और बैठा बैठा बांटता हूं इन डिग्रियों को जोनों में, और बैठा बैठा बांटता हूं इन डिग्रियों को जोनों में,
सांझे थे चूल्हे, भले ही कच्चे थे पक्के घरों से, झोपड़े अच्छे थे। सांझे थे चूल्हे, भले ही कच्चे थे पक्के घरों से, झोपड़े अच्छे थे।
आज हालात जीते गए और उसका बचपन हार गया। आज हालात जीते गए और उसका बचपन हार गया।
मां तेरी ममता मगर, आज भी कम नहीं होती। मां तेरी ममता मगर, आज भी कम नहीं होती।
एक पंडित के कहे शब्द ने जीवन के बहुत से छान छीन लिए उस बच्चे से। एक पंडित के कहे शब्द ने जीवन के बहुत से छान छीन लिए उस बच्चे से।
बिना कुछ बोले जो चाहा हाथ में लाकर रख देती हैं मां तो बस मां होती है बिना कुछ बोले जो चाहा हाथ में लाकर रख देती हैं मां तो बस मां होती है
मम्मा याद आती है तुम्हारी अक्सर बोल नहीं पाती हूँ तुमसे मिलकर। मम्मा याद आती है तुम्हारी अक्सर बोल नहीं पाती हूँ तुमसे मिलकर।
मम्मा में तो सचमुच में ही बोर हो गया सचमुच में ही बोर हो गया। मम्मा में तो सचमुच में ही बोर हो गया सचमुच में ही बोर हो गया।
कुमार कार्तिकेय को स्वामीनाथ बोलकर सम्बोधन किया। कुमार कार्तिकेय को स्वामीनाथ बोलकर सम्बोधन किया।
मम्मी के आगे, दिया और जिन्न, भी बेकाम, बस मम्मी ही आए, घर, और हमारे काम। मम्मी के आगे, दिया और जिन्न, भी बेकाम, बस मम्मी ही आए, घर, और हमार...
जो कर सकते हैं, केवल समाज के, सहायकर्ता पूरा। जो कर सकते हैं, केवल समाज के, सहायकर्ता पूरा।
वाह रे उड़ने वाली तश्तरी, उड़न तश्तरी। वाह रे उड़ने वाली तश्तरी, उड़न तश्तरी।
काश वो जिन्न मुझको मिल जाता और वो मेरे हुक्म बजाता।। काश वो जिन्न मुझको मिल जाता और वो मेरे हुक्म बजाता।।
पहली लकीर क्या कर पाया मैं यहीं बताती है दूसरी क्या कमाया जो जोड़ा वो गंवाया ये बताती। पहली लकीर क्या कर पाया मैं यहीं बताती है दूसरी क्या कमाया जो जोड़ा वो गंवाया ...
धन्य मानूँगी गर बन पाऊँ माँ आपके लड़खड़ाते क़दमों की ताकत। धन्य मानूँगी गर बन पाऊँ माँ आपके लड़खड़ाते क़दमों की ताकत।
उम्मीदें ही ज़िंदा रखती, दुनिया जीतनी अब सारी है!! उम्मीदें ही ज़िंदा रखती, दुनिया जीतनी अब सारी है!!
सब बेचैनी के साथ साथ तब सुकून भी मिलता था। सब बेचैनी के साथ साथ तब सुकून भी मिलता था।