जाग रे इन्सान
जाग रे इन्सान
छोड़ दे सारे दुष्कर्मों को सत्कर्मों में लाग रे
जाग रे इन्सान, अब तो जाग रे। ||धृ.||
पानी की और बिजली की तू कितनी करे बर्बादी
सब यहीं सोचे लूटपाट की,हमको है आज़ादी
बचत करो बिजली पानी की,यही समय की माँग रे
जाग रे इन्सान, अब तो... ||१||
चहकने वाले पंछी खा लिए,शहरों के जंगलों ने
तोड़ दिये हैं उनके घोसले,तेरे इन बंगलो ने
जीने का हक उनको भी है,मत ले उनकी जान रे
जाग रे इन्सान, अब तो... ||२||
होती जाए खेती कम और खाने वाले ज्यादा
अपनी ही बर्बादी पे बंदे,क्यूँ है तू आमादा ?
उल्टे धंधे त्याग दे सारे,चल तू सीधी चाल रे
जाग रे इन्सान, अब तो... ||३||
धरती खाई, सागर खाए,खा गया सारा अंबर
क्या खाएगा और भला तू अब किसका है नंबर ?
हद से ज्यादा दौड़ रहा तू,रिवर्स गियर अब डाल रे
जाग रे इन्सान, अब तो.. ||४||