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Vinita Rahurikar

Classics

3  

Vinita Rahurikar

Classics

इतिहास दोहरा रहा

इतिहास दोहरा रहा

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कभी पिता उसे ले जाते थे

हाथ थामकर स्कूल

फिर एक दिन वह बड़ा हुआ

पिता की जगह अब वो

अपने बेटे को स्कूल

पहुँचाने लगा।


और पिता को

छोड़ आया वृद्धाश्रम में

अपने दर्प में चूर

नहीं देख पाया कि

बेटा सीख रहा था

उसी को देखकर सबकुछ।


आज असहाय सा

भेजा जा रहा है वृद्धाश्रम में

अपने बेटे द्वारा

और सोच रहा है काश

डिग्रियों की शिक्षा के साथ ही

संस्कारों की शिक्षा भी दी होती।


बेटे को, नहीं प्रस्तुत किया होता

बूढ़े बाप को वृद्धाश्रम भेजने का

उदाहरण उसके सामने तो

बेटा अपने दादाजी के साथ

रहकर अच्छे संस्कार पाता,


और आज मैं भी

अपने पोते से खेल रहा होता।


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