इसी घर के अंदर कभी
इसी घर के अंदर कभी
इसी घर के अंदर कभी
बहुत चहलपहल हुआ करती थी
इसी घर के अंदर कभी
नटखट बचपन का शोर हुआ करता था
इसी घर के अंदर कभी
शादी-त्यौहारों का मौसम हुआ करता था
इसी घर के अंदर कभी
खुशियों का बसेरा हुआ करता था
उसी घर की सिर्फ एक याद
रह गया है ये दरवाज़ा
और अनगिनत सुनहरी यादों को
समेटे रखा है इस छोटे से ताले ने।
