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Anjana Chadha

Romance

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Anjana Chadha

Romance

इश्क़

इश्क़

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सोचती हूँ...

इश्क़ क्या है..


यही कि तेरे पुकारने पर..

उम्र की दीवार गिरा...

शर्मो-हया की दहलीज लांघ

रस्मो-रिवाज़ की बेड़ी तोड़...

मेरा तुम तक दौड़े आना...


जहाँ...लगता है सदियों से 

तुम मुझे पुकार रहे हो...


इश्क़ की पनाह ये...

कितनी खूबसूरत है...

तुम जहाँ अपनी उम्रे रफ़्ता को

रवानी दे ...मुझ से मिलने

दौड़े चले आते हो..


हर सू प्यार बरसता है यहाँ

ख़ुदा की नेमतों की तरह..


और हम तुम साथ-साथ 

इस बरसात में..

भीगे चले जाते हैं....

भीगे चले जाते हैं...

वक्त क्यों नहीं थम जाता है वहाँ ?


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