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नज़रे -इनायत

नज़रे -इनायत

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चलने की   तैयारी  रख
दुख में  भागीदारी  रख
हाल मेरा  भी  पूछ ज़रा
कुछ तो दुनियादारी रख
आसाँ काम बख्श उसे तू
मुझ तक बस दुश्वारी रख
सर पे कफ़न बांध लेकिन 
ज़रा  नहीं   लाचारी   रख
मैं  भी  तो  कुछ  हूँ  तेरा
मुझ  से   रिश्तेदारी  रख
इश्क़  सिखा दे यूँ मुझको
साँस साँस पर भारी रख
उसकी नज़रे-इनायत की
मरने तलक ख़ुमारी रख!!


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