इश्क़ की जंग
इश्क़ की जंग
दिल तोड़ने के खेल में
गलत शख्स को चुना है तूने
मैं शीशा नहीं जो टूटकर बिखर जाऊंगी
मत कर कद्र तू मेरी
मेरी चाहत की तो दुनिया दिवानी है
मैं तो खुशबु का वो झोंका हूँ
जिधर चाहूँ महक जाऊंगी
तुझे गुरुर किस बात का है
कैसे सोच लिया तूने
तेरी बेरुखी से बिखर जाऊंगी
इश्क़ की जंग में तू मुझे हरा नहीं सकता
ये बात और है
मैं खुद को हारकर भी तेरी जीत चाहूंगी

