STORYMIRROR

Kavita Panot

Fantasy

4  

Kavita Panot

Fantasy

इश्क के एहसास

इश्क के एहसास

1 min
276

मैं पत्तों पर यूँ उसका नाम लिखती रही, 

पतझड़, बारिश, बसंत हर दिन मौसम सी,


उसके रंग में ढलती रही।

एक झोंका हवा का ऐसा आया, 

वो टहनियां ही ले गया साथ अपने, 

और में मीट कर भी टहनियों से लिपटी रही। 


जैसे मर कर भी रूह काया से, 

रुखसत होने की आरजू रखती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy