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Anshu Shri Saxena

Romance

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Anshu Shri Saxena

Romance

इश्क और शतरंज

इश्क और शतरंज

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कहते हैं इश्क़ पर कोई ज़ोर नहीं 

कभी किसी का वश नहीं

यह जब होना होता है 

तो बस हो जाता है !

पर ज़रा इसमें डूब कर तो देखिये 

इश्क में हर पल बिताना 

यूँ लगता है जैसे कि 

सदियों का फ़ासला है

जो बस क़तरा क़तरा गुजरता है

या फिर जैसे एक जंग है या कोई जुनून

या फिर एक शतरंज की बाज़ी 

जिसमें ना चेक है ना कोई मेट

ये एक अंतहीन सिलसिला है

जज़्बातों के खेल का

जिसमें हारना ही नियति है

और अगर हो भी गई जीत 

तो समझिए इश्क़ मुकम्मल नहीं 

दिलों के इस खेल में मोहरें भी हैं 

और उनकी अलग अलग चालें भी

पर बाज़ी उसी के हाथ लगती है

जो हार कर भी दिल जीत जाता है 



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