STORYMIRROR

Smita Singh

Inspirational

4  

Smita Singh

Inspirational

इंतहा

इंतहा

1 min
327


यूं तो अपने है सभी आजकल ,पराया कौन है?

गर सच है ये तो,जज्बातों का दरिया क्यों मौन है?


मुंह की मिठास के आगे,शहद की जरूरत अब कम पड़ती है,

कड़वाहट दिलों में भरकर ,झूठी मुस्कानों की जरूरत पड़ती है।


तस्वीरों को खुशनुमा बनाने की जद्दोजहद पुरजोर है,

हकीकत में हर इंसान अकेलेपन से सराबोर है।


दिखावा ,ढोंग,छल, का शोर है खून के रिश्तों में,

जज्बातों को खर्च करता है खामख्वाह,तकल्लुफ की किश्तों में


दिल दुखाने की फुर्सत नहीं किसी को,फिर भी दिल टूटे क्यों हैं?

जुबां की खुबसूरती सबकी काबिले तारीफ, फिर भी एक दूसरे से रूठे क्यों है?


शायद जमानें में,रिश्तों की ईमानदारी के नियम बदल गये हैं, 

इंसान और रिश्तों का रूप है वही,नियत,सहजता के पर्याय बदल गये हैं।


जुल्म वही नहीं होते,जो दिखते है दिल ,दिमाग, और जिस्म में,

जो जुल्म होते है बदलती नकारात्मक सोच के साथ खुद पर

ऐसे जुल्मों की इंतहा नहीं होती।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational