इंसान
इंसान
आज सब हैं हैरान
न था ऐसा अनुमान
चारों और प्रकृति ने
ये कहर ढाया है।
मानव बना हैवान
सूझे नहीं समाधान
जाने नहीं कोई अब
कैसी यह माया है।
इंसान हवा में उड़ा
नहीं फिर पीछे मुड़ा
संस्कार भूले सभी
बना चारपाया है।
हो जा अब सावधान
करो प्रकृति का मान
मालिक ऊपर वाला
हम देते किराया है।