Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सीमा शर्मा सृजिता

Romance

4.7  

सीमा शर्मा सृजिता

Romance

इन्द्रधनुषी

इन्द्रधनुषी

1 min
415


तपते जेठ में मैं रेगिस्तान की गर्म रेत सी 

और तुम्हारा प्रेम बारिश बन

बूंद - बूंद मुझ पर गिरता है 

तब उठती है एक सौंधी महक 

उस महक से महकते हैं हम 

तुम हौले से जब छू लेते हो 

रूह को मेरी 


मैं खिल उठती हूं कली सी

मैं हर बार हो जाती हूं नई सी 

तुम्हारी आंखें बडी़ नशीली हैं  

बडा़ बतियाती हैं 


जब भी देखते हो 

बाबरी हो जाती हूं 

मेरी धड़कनों से निकलता है 

तुम्हारे नाम का मधुर स्वर 

जिसे जपती हूं मीरा सी 

तुम्हारी आगोश में आकर 

सांसें थोडी़ तेज हो जाती हैं 


इतनी तेज कि सर्द मौसम में भी 

इन सांसों से निकलती है गर्म हवा 

उस हवा से उड़ती हैं मेरी जुल्फें 

जिन्हें तुम बुलाते हो काली घटा 

मुझे अपना कैनवास बना 

ऊंगलियों से ही हौले - हौले 

तुम बिखरा देते हो 


अपनी प्रीत के सैकडो़ रंग

तुम्हारे रंगों का असर 

कुछ यूं होता है मुझ पर 

कि बनती है एक सुन्दर सी तस्वीर 

उस तस्वीर को जब - जब देखती हूं 

मैं खो सी जाती हूं 


तुम्हें बुलाती हूं रंगरेज 

मैं इन्द्रधनुषी कहलाती हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance