इल्तज़ा है उस खुदा से अपने यार के लिए
इल्तज़ा है उस खुदा से अपने यार के लिए
नैना ये रोग लगाए
हर दिल को यही रुलाए
अब ना रोए दिल किसी का
दिलदार के लिए
इल्तज़ा है उस खुदा से
अपने यार के लिए...
बेकरारी के जमाने में
एक शहर ढूंढ लेंगे
मेरे मौला मेरे साकी
ऐसा सफ़र ढूंढ लेंगे
बेकरारी के जमाने में
एक शहर ढूंढ लेंगे
मेरे मौला मेरे साकी
ऐसा सफ़र ढूंढ लेंगे
दे दे मोहलत मेरे रब्बा
तू एक बार के लिए
इल्तज़ा है उस खुदा से
अपने यार के लिए।।
इश्क़ है क्या? इस जहां में
मुझको इतना बता
शायरों की हर ग़ज़ल
क्यूं है इतनी खफ़ा
इश्क़ है क्या? इस जहां में
मुझको इतना बता
शायरों की हर ग़ज़ल
क्यूं है इतनी खफ़ा
कोई घुट घुट के जीये ना
एक दीदार के लिए
इल्तज़ा है उस खुदा से
अपने यार के लिए।।
