Pradeepti Sharma

Romance

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Pradeepti Sharma

Romance

इल्तिजा

इल्तिजा

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ख्वाहिशों की डोर से, 

ख्वाबों के दायरे तय

कर लिए

जज़्बातों की लौ से, 

मोहब्बत के दीये रौशन

कर लिए

हसरतों की कलम से, 

किस्मत के फ़साने दर्ज

कर लिए

दुआओं की लेहरों से, 

हमारे दरमियाँ के फ़ासले

तय कर लिए

मगर इल्तिजा है तुमसे, 

वस्ल की चाहत है, 

यार के मन से, 

हो चुकी है कब की, 

अब अक्सरियत की

बाकी है

जुनून है ये अब मेरा, 

मिलन की बेला आए, 

और बूँदे अमृत प्रेम की

बरसाए, 

और मग्न हो जाऊँ मैं, 

झूमते झूमते तुझ में

समा जाऊँ



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