इकरार
इकरार
चाँद-सा रूप सलोना, दीदार के लिए बेताब दिल
इम्तिहान-सा लगे इंतज़ार, जाने कब मिले मंज़िल
चौंक गई ख़ुद कुदरत भी ख़ूबसूरत उन्हें बनाकर
होश उड़ा गया वो चेहरा किया ज़िंदगी में शामिल
चल पड़ी कश्ती दिल की, समंदर-ए-इश्क़ में गहरी
लहरें झूम उठी जब नज़रें तस्वीर पर आकर ठहरी
गरजते मगर जब बादल नफ़रतभरे तूफान लाकर
तबाह करती ज़माने की आँधी-ए-इल्ज़ाम सुनहरी
मासूम अदाओं में नज़ाकत, नाज़ुक वो फूल गुलाब
दीवाना कर दे सितारों को भी रौशनी ओढ़े महताब
आग़ाज़-ए-ज़िंदगी की लाई मदहोश वस्ल की रात
इकरार-ए-चाहत से हक़ीक़त बनेगा।