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Bhawna Vishal

Romance

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Bhawna Vishal

Romance

इक ख़त: तुम्हारे लिए

इक ख़त: तुम्हारे लिए

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सोचती हूँ मैं

कभी कभी

इक ख़त लिखूं तुम्हें

लिख दूँ

कि दिल ये फिर

ज़िद पे अड़ा है

हो के फरियादी

तुम्हारे दर पे

खड़ा है


लिख दूँ

कि फिर एक बार चाहिए

थोड़ा या ज्यादा

तुम्हारा प्यार चाहिए

या लिखूं कि

अनंत अंबर में

चाँद तन्हा बहुत है

तुम जो भर लो

बांहों में तो

जीने को 

वो एक लम्हा बहुत है


या लिखूं मैं

दिल की दुश्वारियां सारी

खत कर दूँ

बेचैनियां बेताबियां

बेकरारियां सारी

इस आग के दरिया में

मुझे डूब जाना है


मुझे अब 'मैं 'नहीं रहना

मुझे बस

तुम हो जाना है 

तुम में ही

गुम हो जाना है

मुझे बस

तुम हो जाना है ।




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