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pratibha dwivedi

Abstract Others

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pratibha dwivedi

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इज्जत

इज्जत

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बेटियों से ज्यादा इज्जत बहुओं की हुआ करती है

प्रेमिका से ज्यादा इज्जत पत्नी को सदा मिलती है


वैसे तो सारी लड़कियाँ ही दो कुलों की शान होती है

फिर भी पत्नी और बहुओं की जिम्मेदारी अधिक होती है 


लेकिन कुछ सिरफिरे आशिक ये बात नहीं समझते हैं

और दूसरों की बीवियों से खुल्लम खुल्ला इश्क करते हैं


अरे प्यार नाम है  परवाह का

आन बान शान की चाह का


मगर ये बात सरफिरे कब समझते हैं

लव यू का ऐलान भरी महफिल में करते हैं


जब जताना चाहिए तब तो चुप रहते है लोग ‌

शादीशुदा होकर मगर पटाने में नहीं करते संकोच 


क्या जमाना आ गया है  अमानत में ख़यानत करने का

किसी और की मिल्कियत को वश में अपने करने का


शादी से पवित्र बंधन का मजाक बनाने लगे हैं लोग

इज्जत के तो मायने ही भूलने लगे हैं लोग


ये कैसा प्यार है  जो शर्मिंदगी महसूस कराता है 

सात फेरों के अपने साथी से गद्दारी कर जाता है  ‌


दो नाव की सवारी भला पार कब लगाती है 

ना प्रेमिका हाथ आती है  ना पत्नी साथ निभाती है


जमाने में सफेद पोश बनकर जो इज्जत कमाई

पोल खुलने पर वो भी खाक हो जाती है  ‌

पोल खुलने पर वो भी खाक हो जाती है 


अगर किसी के मान सम्मान की रक्षा नहीं कर सकते तो प्यार के नाम पर किसी के सम्मान की क्षति भी ना करो



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