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Meera Parihar

Abstract

4.2  

Meera Parihar

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ईश्वर

ईश्वर

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तेरे दर पे आ गयी हूँ, मुझे अब न आजमाओ।

चाहो  गले लगा लो, चाहो तो ‌न लगाओ।।

बस इतना कर्म करना, द्वारे से न लौटाओ।।

तेरे दर पे आ.............


तेरी कृपा का आदित्य, प्राची से जब उगा है।

गयी रात तब अंधेरी, जग नींद से जगा है।।

चढ़ रश्मियों के रथ पर मन द्वार मेरे आओ।

तेरे दर पे आ......


तेरी जमीं है, तेरी जल धार आसमां सब।

सबसे बड़े प्रदाता अपना लो मुझको अब।। 

मेरी जिंदगी के माझी, कश्ती को आ चलाओ।

तेरे दर पे आ..........


सारे जहां के मालिक, गुणगान मैं करूं क्या ?

सुर शब्द मेरे सीमित, होगा भी अब बयां क्या।

तूफान आँधियों से, हमें बचना आ सिखाओ।।

तेरे दर पे आ......


बहती नदी सा जीवन.पर्वत सी मुश्किलें हैं।

अव्यक्त वादियों में.बड़े व्यस्त सिलसिले हैं।।

कंटक भरे सफर को, आसान आ बनाओ।

तेरे दर पे आ गयी हूँ......


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