ईश्वर
ईश्वर


मैने देखा है ईश्वर को,
कई रंगों में ढले हुए।
कहीं है भगवान के रूप में,
अपने भक्तों की आस्था के साथ।
कहीं है अल्लाह की शक्ल में,
अपने बन्दों की रहनुमाई के साथ।
कहीं वाहे गुरु तो कहीं यीशु,
कई रूप धारण ईश्वर ने किये।
असमान में समानता का अर्थ,
ईश्वर ने समझाया था।
परन्तु मनुष्य ने इसका अर्थ भी,
अपने अनुकूल लगाया था।
एक ही पृथ्वी के निवासी,
करते है भेदभाव यहाँ।
मारकाट मची हुई है,
खुद को ऊंचा दिखाने में।
भूल गए हैं जो इंसानियत,
ईश्वर के दुख को भूल गए।
आशा है अब तो बस यही,
ईश्वर को संसार से।
मानवता की सुगंध समाप्त न हो,
उसके बनाये चित्रहार से।