ईश्वर का प्रसाद है बेटियां
ईश्वर का प्रसाद है बेटियां
जीवन में बहार हैं बेटियां
दो घर का चिराग है बेटियां,
बदकिस्मत होते हैं वह लोग,
जो नहीं चाहते हैं बेटियां।
अभी भी इस संसार में,
दुविधा है बहुत बड़ी,
यहां दहेज के खातिर,
जला दी जाती है बेटियां।
आज भी जहां बेटो को,
मानते हैं घर का चिराग,
वहां पैदा होने पर दूध में ,
डूबा दी जाती है बेटियां।
जहां बेटियों को पालते हैं ,
बेटों की ही तरह ,
वहां नाम रोशन कर जाती है,
ये प्यारी-प्यारी बेटियां।
जहां समझते हैं बेटियो को,
अपने बेटों के जैसा,
वहां कल्पना और मैरी कॉम ,
बन दिखाती है बेटियां।
दिल में जुनून रखती हैं ,
ये भी कुछ कर दिखाने का,
अंधेरे को चीरती किरण,
की तरह होती है ये बेटियां।
न समझो इसे किसी ,
खैरात की तरह तो तुम,
ईश्वर का अमूल्य प्रसाद,
होती है यह बेटियां।