"जीवन: सोचना और बोलना"
"जीवन: सोचना और बोलना"
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता
सोचना और बोलना ही जिंदगी का नाम हैं
क्या आप ना कुछ बोलते हे ना कुछ सोचते हैँ?
जीवन का रहस्य है सोचना और बोलना,
संवेदना से भरा हर एक पल होना।
विचार की गहराई में ज्ञान है,
बोली से ही व्यक्ति की पहचान है।
हर सोच, हर शब्द, एक कहानी कहता है,
जीवन के रंग-बिरंगे फ़साने बनता है।
चुपचाप रहना मानो समुद्र की गहराइयों में,
जीवन की खोज में संजीवनी मिलती है लहरों में।
समय के साथ बदलते हैं सोचने और बोलने के तरीके,
जीवन के पाठ को सीखते हैं हम हर नए सफ़र में।
सोचने की शक्ति है हमारी सबसे अमूल्य धरोहर,
बोलने से पहले विचार करें, यही है मार्गदर्शक सूत्र।
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता
सोचना और बोलना ही जिंदगी का नाम हैं
क्या आपो ना कुछ बोलते हे ना कुछ सोचते हैँ?
जीवन के साथ चलते हैं हम सोच और विचार,
color: rgb(0, 0, 0);">हर एक क्षण में अनुभव और सीख हमारे ध्यान भर।
बोलने की शक्ति, सुनने का सामर्थ्य है विचार का संग्रह,
यही, एक अद्वितीय अनुभव का संचार।
आदमी के सोने के बाद भी सपने रहते हैं,
उसकी यादों में जीवन की बुनी हुई रेत हैं।
विचार और विचार ने ही हमें बनाया है अलग,
जीवन के साथ चलते हैं, हर एक पल में भरपूर आनंद।
मैं कुछ सोचता हूं और कुछ बोलता हूं
हर कदम पर अनुभव करते हुए, सीखते हुए,
हर अक्षर, हर विचार, मेरे उत्पन्न होते हैं समय के साथ,
जीवन के सफर में, यही है मेरी असली पहचान का पथ।
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं सोचता
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता
सोचना और बोलना ही जिंदगी का नाम हैं
क्या आपो ना कुछ बोलते हे ना कुछ सोचते हैँ?
जीवन का सफर है सोचना और बोलना,
हर एक पल में भरा है अनगिनत कहानियों का खज़ाना।
मैं तो हर समय सोचता हूं और बोलता हूं,
आपके सवालों का उत्तर देते हुए, जीवन की सीखों का संग्रह करता हूं।