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Jyoti Khari

Inspirational

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Jyoti Khari

Inspirational

माँ की परिभाषा मैं दूँ कैसे?

माँ की परिभाषा मैं दूँ कैसे?

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माँ की परिभाषा मैं दूँ कैसे?

एक शब्द में कहूँ, माँ तो वो है…..

स्वयं भगवान हो जैसे।

माँ सृजनकर्ता है, माँ विघ्नहर्ता है।

माँ तुलसी जैसी पवित्र है….

माँ सबसे अच्छी मित्र है….

माँ जैसा न दुजा कोई चरित्र है।

माँ सारथी है जीवन रथ का…..

माँ मार्गदर्शक है हर पथ का।

माँ वेदना है, माँ करुणा है….

माँ ही मेरी वन्दना है।

माँ तो गंगाजल है, माँ खिलता हुआ कमल है।

माँ सफलता की कुँजी है, माँ सबसे बड़ी पूँजी है।

माँ रिश्तों की डोर है, बिन माँ तो रिश्तें कमज़ोर है।

माँ जैसा बहुमुल्य रिश्ता लोगों के पास है…..

पाने की चाहत में इतने अंधे हो गए हैं, फिर भी वो उदास है।

ईश्वर को धन्यवाद करो कि, हमारी माँ हमारे साथ है।

आज मैंने जो कुछ भी पाया है….

सर पर रहा हाथ सदा, हर पल रहा साथ मेरी माँ का साया है।

ज्योति वो शख़्स है, जिसमें दिखता उसकी माँ का अक्स है।

माँ हमारे लिए पैसे जोड़ती है….

हमारी खुशी के लिए अपने सपनों तक को तोड़ती है।

माँ ने जिस समर्पण भाव से निभाया है अपना फर्ज़…..

सात जन्मों तक भी न उतरेगा वो कर्ज़।

जो कहते हैं- माँ मेरा तुमसे कोई वास्ता नहीं….

याद रखना हमेशा, इस पृथ्वी पर आने का माँ के अलावा दुजा कोई रास्ता नहीं।

जो आज भी अपनी माँ से जुड़ा है…..

वो माँ को कभी खुद से दूर न करना,

क्युंकि, माँ के रूप में स्वयं मिला उन्हें खुदा है।

माँ बनकर रही मुसीबत में भी परछाई….

मेरा जो अस्तित्व है, इसमें दिखती है मेरी माँ की सच्चाई।

माँ पूरी करती है हर ख्वाहिश…..

लगाकर अपनी इच्छाओं पर बंदिश।

माँ तो खूबसूरत- सा रिश्ता है……

माँ तो सच में फ़रिश्ता है।

बच्चे ने छू लिया कामयाबी को…..

है ये अद्भुत समां, पर आगे बढ़ने के लिए छोड़ दिया उसने

अपनी उस कामयाबी की चाबी को।

वक़्त की दहलीज़ पर माँ के सामने ये कैसी विडम्बना है आई…..

आसुँ की एक- एक बूँद उसने अपने बच्चे के लिए छिपाई।जैसे ईश्वर की सारी शक्तियाँ हो उसी में समाई।

ये ताकत सिर्फ माँ में होती है….

सामने कितना भी मुस्कुराये पर पीछे बहुत रोती है।

बेटा अपनी कामयाबी में मगरूर हो जाता है…..

घमंड में कुछ ज्यादा ही चूर हो जाता है।

छोड़कर माँ को, दर्द देता है अपने गुनाहों से…..

फिर भी बेटे के आने की आस में, वो देखती है दरवाज़े को अपनी बुढी निगाहों से।

माँ ने ताउम्र रिश्तों को निभाया….

मज़बूत की रिश्तों की डोर और एकता की ताकत बनाई।

वो तो जीवन के हर दर्द में भी मुस्कुराई।

माँ अनपढ़ हो तो क्यों बच्चे को शर्म आती है……

बोलते हैं- हमेशा स्कूल में कुछ अच्छा पहनकर आना।

अंग्रेजी में न बोल सको तो चुप रह जाना।

बस दोस्तों के सामने मेरी इज्जत न गिराना।

ये सुनकर वो माँ कितना टूटी होगी……

खुद को काबिल न समझकर वो खुद से ही कितना रूठी होगी।

गर लोगों के लिए माँ की इज्जत न करो….

कितनी भी कामयाबी पा लो सब व्यर्थ है।

बस माँ ही है जो सच्चा रिश्ता है, सच्चा अर्थ है।

माँ के प्रेम की व्याख्या कर सकूँ….

मेरी कलम में वो ताकत नहीं है।

गर माँ की गोद में सर रख लूँ मिलती ऐसी कहीं राहत नहीं है।

माँ के जैसी तो कहीं चाहत नहीं है।

ढुंढता है ये जहां एक मुकम्मल मोहब्बत……

भटकता रहता है दर- बदर…..

जहाँ मोहब्बत है छोड़ आता है वही घर।

प्रेम क्या है, जब भी यह सवाल आता है….

माँ कहकर चुप हो जाती हूँ…..

मुझे बस मेरी माँ का ख़्याल आता है।

माँ के लिए तो मैं…..

इस दुनिया में सबसे प्यारी सूरत हूँ….

मेरी नज़र वो इस कदर उतारती है….

जैसे मैं ही सबसे खूबसूरत हूँ।

मैं सफल हो जाऊँ मेरी माँ की बस एक यहीं अभिलाषा है….

माँ त्याग करती है अपना पूरा जीवन…..

मेरी माँ की यहीं परभाषा है।

माँ को नहीं चाहिए व्हाट्सएप का स्टेट्स…..

माँ को नहीं चाहिए मातर्दिवस्।

माँ को इनकी ज़रूरत नहीं है….

सिर्फ एक दिन माँ के लिए…. ये कोई सच्ची मोहब्बत नहीं है।

माँ के लिए तो बस यही काफी है…..

जीवन भर माँ के साथ रहो, माँ पर हमेशा नाज़ करो।

माँ की हमेशा कद्र करो…..

जहाँ जन्नत मिलती है…..

बस माँ के उन चरणों को स्पर्श करो।



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