ज़िन्दगी : एक रेतीला तूफ़ान
ज़िन्दगी : एक रेतीला तूफ़ान
चलो एक खेल खेलते हैं
सभी एक गहरी सांस लेते हुए अपनी आँखें बंद करो
शून्य होकर, अपने अंदर पड़ी असंख्य निरर्थक निरुपयोगी चीज़ों पर पड़ी मोटी मोटी परतें अब हटने लगी हैं
ठीक है ! अब एक बेहद खतरनाक रेतीले तूफ़ान के दृश्य की कल्पना करते हुए बाकी सभी कुछ अपने दिमाग की गहराइयों से हकाल दो
यह जो किस्मत नाम की आवश्यक बुराई होती है ना , यह इसी रेतीले तूफ़ान की तरह ही होती है। जो निरंतर अपना दायरा ,अपनी दिशा बदलती रहती है। अपनी फितरत के गुलाम हम मानव शुरुआत में इस विपदा से बचने हेतु अपनी राह ,अपना मार्ग बदल लेते हैं पर फिर यह दीमक की भांति हमारा पीछा करता है।
हम लाचार हो फिर दूसरी दिशा में मुड़ते हैं , यह फिर हमारे वक़्त ,हमारी रफ्तार से तालमेल बिठा लेता है। यह चूहे बिल्ली का खेल इस तरह लगातार चलता रहता है मानो उम्मीद की किरणें सूर्य की लालिमा से फूटने से पूर्व अपने अन्धकार के काले स्याह स्वरुप में मृत्यु का चोंगा ओढ़े मनहूसियत के संग मंत्रमुग्ध हो अत्यंत मनमोहक नृत्य कर रही हो।
तुम्हारे माथे पर पड़ी यह सिलवटों का तात्पर्य में बखूबी समझता हूँ। तुम्हे यह समझना होगा की यह जो रेतीला तूफ़ान अपना विराट रूप ले रहा है ,यह कहीं किसी विशाल रेगिस्तान के ह्रदय का निवासी नहीं है या तुम्हारा इस होती अनहोनी से कोई लेना देना या सरोकार ही नहीं है ,अपितु तुम खुद यह तूफ़ान हो। यह हमेशा से तुम्हारे अंदर ही रचा बसा है। कर्मा की सीढ़ियां चढ़ते हुए इस तूफ़ान का सामना करो। अपने कदम आगे बढ़ाओ , अपना सब कुछ झोंकते हुए , मैं को खुद से पृथक कर चल पड़ों इस भयावह बवंडर में अपना परचम लहराने। शुरू के कुछ पलों के लिए अपनी आँखें और कान बंद कर लेना ताकि तूफ़ान में छुपे काली रेत और नुकीले पत्थर तुम्हारा रास्ता न रोक पाएं। एक एक सीढ़ी ,कदम दर कदम पार करते चलो।
यहाँ न कोई सूर्य है, न चाँद सितारे है , न गंगा है, न यमुना है , ना दिशाएं हैं , न वक़्त की मोहताजी है। सिर्फ हवा में अपना घेरा बनाती यह आडम्बरी रेत है जो तुम्हारी हड्डियों को चूर चूर करने को हर क्षण ललायित हैं।
इस तरह का तूफ़ान तुम्हारी आने वाली ज़िन्दगी में घात लगाए तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है।
यह तुहारी मासूम मुलायम त्वचा को सहलाते हुए किसी विशाल अजगर की भाँती तुम्हे निगलना चाह रहा है ।
अब से ,अभी से , चाहे जो कुछ भी हो -तुम्हे इस दुनिया का सबसे सख्त योद्धा बनना है। जीवन की दुर्गम डगर में , दोनों तरफ खाई से घिरे ,काँटों से भरी इस पगडण्डी को पार करने का यही एकमात्र तरीका है।
और इसके लिए तुम्हे समझना होगा की सख्त होने का सही मतलब क्या होता है।
मुझे भलीभांति ज्ञात है की अभी तुम्हारे मस्तिष्क में चल रहा है की यह सब तूफ़ान वगैरह बस रूपकात्मकता और लाक्षणिकता के उदाहरण हैं। पर यह भूल भूलकर भी न करना। यह तूफ़ान हज़ारों तलवारों की तेज़ धार सा तुम्हारी चमड़ी को चीरता हुआ कब तुम्हारी मांसपेशियों से मांस के टुकड़ों को अलग थलग कर पटक देगा तुम्हे आभास तक नहीं होगा
यहाँ लोगों का रक्त बहा है, तुम्हारा भी बहेगा ,उबलता लाल रक्त। तुम अपने हाथों में इस बहते खून को महसूस कर पाओगे ,तुम्हारा अपना खून , और दूसरों के खून से भी तुम्हारे हाथ सने होंगे.
अब जब तह तूफ़ान ख़त्म हो चुका है ,तुम जान ही नहीं पा रहे हो की अब थम जाना है। तुम किस तरह जिए , किस तरह लड़े तुम्हे खबर नहीं है। तुम यकीन है नहीं कर पा रहे हो की तूफ़ान थम चुका है, तुम्हे लड़ने का , भागते रहने की इतनी आदत हो गई है की तुम्हे रुकना ,थमना ,होशोहवास में सांस लेना आ नहीं पा रहा है।
हाँ पर इन सभी अनिश्चिताओं में एक बात है जो शत प्रतिशत निश्चित है। आज जब तुम यह तूफ़ान पार कर चुके हो तुम उस इंसान का प्रतिबिम्ब का एक प्रतिशत भी नहीं हो जिसने वर्षों पूर्व इस तूफ़ान में प्रवेश किया था।
यही इस तूफ़ान का मकसद था ,यही सार था ज़िन्दगी का।
