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Sudhir Srivastava

Inspirational

4  

Sudhir Srivastava

Inspirational

माँ कौशल्या के बिना

माँ कौशल्या के बिना

3 mins
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आज जब प्रभु श्रीराम के आगमन पर

हर कोई हर्षित और प्रफुल्लित है

राम जी को सब अपने अपने ढंग से

अपने भाव पुष्प अर्पित कर रहे हैं।

पर कोई भी माँ कौशल्या के मन के भाव

शायद पढ़ ही नहीं पा रहा है

या पढ़कर भी पढ़ना नहीं चाह रहा है।

अपने आराध्य, अपने प्रभु के आगमन की खुशी में

एक माँ के मन के भावों को भी पढ़ने

महसूस करने की जरूरत है।

राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम और

प्रभु श्रीराम बनने के पीछे

उनके दिए संस्कार, सीख और धैर्य का

जिनका सबसे अहम योगदान है,

त्रेता में राम के वनवास प्रस्थान पर 

माँ कौशल्या ने धैर्य नहीं खोया था,

और ही न चीखीं, न चिल्लाई

न किसी को दोषी ही ठहराया,

न ही कैकेयी को अपमानित, उपेक्षित किया था,

ऐसा नहीं था कि वे दुःखी नहीं थीं

पर अपने दु:ख को अपने अंतर्मन में कैद किए थीं।

भरत जब राम को लाने वन को गए थे

तब भी कौशल्या ने अयोध्या वापसी के लिए

राम से एक बार भी नहीं कहा था

जबकि कैकेयी राम से अयोध्या वापसी का 

बड़ा मनुहार कर रही थीं।

कौशल्या ने राम को पितृ आज्ञा 

और मर्यादा का पालन करने से कभी नहीं रोका।

जैसे भरत और पूरी अयोध्या राम के

अयोध्या वापसी के दिन गिन रही थी

कौशल्या भी तो उन्हीं में से एक थीं,

अयोध्या की महारानी होने के साथ 

कौशल्या एक माँ भी तो थीं।

पर ममता की आड़ में पुत्र को अपनी ही नजरों में

गिर जाने की सीख से बचाए रखा।

कौशल्या ने एक बार तो चौदह साल अपने लाल का 

एक एक दिन गिन गिनकर इंतजार किया था,

तो दूसरी बार भी हम सबके साथ उन्होंने भी

पुत्र वियोग का लंबा दंश झेला है,

पर माँ कौशल्या पहले की तरह ही

धैर्य की प्रतिमूर्ति बन मौन रहीं,

सब कुछ समय और नियति के अधीन मान

समय का चुपचाप, इस पर का इंतजार करती रहीं,

क्योंकि सच कहें तो सबसे ज्यादा उन्हें ही

अपने लाल के वापस आने का अटल विश्वास था।

आज जब राम जी का आगमन हो गया

एक माँ का विश्वास राम मंदिर में 

राम जी के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के साथ

प्रतिष्ठित और दैदीप्यमान हो गया

जन मन का सपना जब पूरा हो गया

नया इतिहास जब बाइस जनवरी दो हजार चौबीस को

जब अयोध्याधाम में लिखा गया,

तब माता कौशल्या का मौन ममत्व 

अब एक बार फिर जीत गया।

पहली बार अयोध्या के राजा राम वापस लौटे थे

और अब दूसरी बार जन जन के पालनहार 

प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटकर आये हैं।

जनमानस कुछ भी कहे या समझे

पर त्रेता हो या आज में कलयुग

कौशल्या के लिए तो उनका लाल ही लौटकर

वापस अपने घर, अपने धाम आया है,

कौशल्या कल भी मौन थीं और आज भी मौन हैं,

पर कोई तो बताए कि एक माँ से ज्यादा 

भला खुश और कौन है?

वह नाम माँ कौशल्या के सिवा और क्या हो सकता ?

माँ कौशल्या की जगह और कौन ले सकता है?

जिसके कदमों में श्री राम का सिर गर्व से झुक सके।

वह नाम सिर्फ माता कौशल्या का ही हो सकता,

क्योंकि माँ कौशल्या के बिना हम सबके प्रभु

मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नाम 

भला जीवन मंत्र कैसे बन सकता था?

जय श्री राम का मंत्र सदियों से आज भी कैसे

अखिल ब्रह्माण्ड में गूँजित होता रह सकता था। 


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