सच ही लिखेंगे
सच ही लिखेंगे
सच ही लिखेंगे*************कुछ लिखने की सोच तो रहा हूँपर समझ नहीं आ रहा है कि लिखूँ क्या?क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?ज्यादा नहीं थोड़ा अहसान कर सकते हैं?मगर आप तो करोगे नहीं?क्योंकि आपके हाव-भाव यही तो कह रहे हैं।पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगाआज नहीं तो कल जरूर लिखूँगा ।मगर जब भी लिखूँगा, आपका पर्दाफाश ही करुँगा?यह मत सोचिए कि मुझे कुछ पता नहीं हैसब कुछ जानता हूँ आपके बारे मेंआपके नकली मुखौटे या चाल, चरित्र, चेहरे कीसब जानता हूँ, सारा कच्चा चिठ्ठा खोल कर रख दूँगा।फिर भी थोड़ा इंतजार कर रहा हूँकि शायद अब भी आप सुधर जाएँ,अपनी कमियों का अहसास कर सुधार में जुट जाएँ।यदि आप ऐसा करेंगे भीतो किसी पर अहसान बिल्कुल नहीं करेंगे,बल्कि अपनी ही छवि में सुधार करेंगे।हमारा क्या है? हम तो हैं ऐसे,जैसा कि आप भी अच्छे से जानते हैंआज लिखें या कल, पर सच ही लिखेंगे।तब आप सबसे पहले दोष तो मुझे ही देंगे,मगर मैं भी क्या करुँ, आदत से मजबूर हूँ,आइने की धूल हटाकर सामने कर देंगेऔर आपका इतिहास दुनिया को अच्छे से पढ़ा देंगे।वैसे भी कौन सा आप मेरे बड़े खैरख्वाह होजो मेरा तंबू उखाड़ कर फेंक दोगे,सच कहता सिर्फ खुद पर शर्मिन्दा होंगेऔर मुझे जी भर कर गालियाँ देते हुएमुंँह छिपाते इधर-उधर फिरोगेक्योंकि आप चाहकर भी रोक नहीं पाओगे।सुधीर श्रीवास्तव
