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Rashmi Prabha

Classics

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Rashmi Prabha

Classics

हवाएं इश्क़ कहाँ करती हैं

हवाएं इश्क़ कहाँ करती हैं

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हवाएँ इश्क कहाँ करती हैं 

कहाँ करती हैं कहाँ करती हैं 

हवाएँ इश्क ही तो  करती हैं 

बसंती दिल दिया करती हैं। 


कभी इठला के सिहर जाती हैं

कभी गर्म तासीर लिए चलती हैं

कभी बलखाके बूंदें लाती हैं 

हवाएँ इश्क किया करती हैं।


हवाएँ इश्क कहाँ करती हैं 

कहाँ करती हैं कहाँ करती हैं

हवाएँ इश्क  ही तो करती हैं। 


कभी जुल्फें उड़ा के हंसती हैं 

कभी घूँघट हटा के हंसती हैं 

कभी दरवाज़ा खटखटाती हैं

कभी सनसना के गीत गाती हैं 

हवाएँ इश्क किया करती हैं।


हवाएँ इश्क कहाँ करती है 

कहाँ करती हैं कहाँ करती हैं 

हवाएँ इश्क ही तो करती हैं। 


कभी फागुन के गीत गाती हैं 

कभी सावन के झूले लाती हैं

कभी मल्हार राग गाती हैं

कभी कुछ धीमे धीमे कहती हैं।


हवाएँ इश्क कहाँ करती हैं

हवाएँ इश्क ही तो करती हैं 

हाँ इश्क किया करती हैं 

अजी हाँ इश्क किया करती हैं। 


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