हुस्न की मल्लिका
हुस्न की मल्लिका
कातिल
तेरी नजर
कातिल
तेरी अदा
कोई बताये
मेरा क्या कसूर
यह दिल जो हुआ
ऐसी हुस्न की मल्लिका पर
फिदा
वह मेरी मोहब्बत को भी
कोई गुनाह समझ बैठी
कर बैठे तो हम
बिना सोचे समझे प्यार तो
इसमें इस नादान दिल की
क्या खता
राह में तेरी
मेरा दिल पड़ा
हो सके तो
उठा ले
आगे बढ़कर
गले लगाने को
कल पछताना न पड़े
तुझको जो
पीछे मुड़कर देखे और
हम कहीं भी न दिखें फिर
तुझको।