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Shayra Zeenat ahsaan

Inspirational

5.0  

Shayra Zeenat ahsaan

Inspirational

हुनर

हुनर

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तुमने मुझ पर तेजाब डाल दिया,

सिर्फ इसलिए कि मैं हमेशा तुम्हें

हराती रही,

हर जगह, हर, घड़ी, हर पल।


पर तुम मुझे अभी भी रोक न पाओगे,

क्या हुआ जो मेरे चेहरे का माँस गल

कर लटक गया है,

क्या हुआ के मैं अब सुंदर न रही,

क्या हुआ के लोग मुझे भर नज़र

देखना नहीं चाहते।


पर मैं बन गई हूं एक ज्वाला,

जो जला देना चाहती,

तुम्हारा समूचा वजूद।

और बता देना चाहती हूं दुनिया को

की कुछ फूलों के सूख कर गिर जाने से

फूल खिलना बन्द नहीं हो जाते,


आँधियों के डर से पहाड़ अपना

कद छोटा नहीं कर लेते,

बादलों के छाने से सूरज अपना

उजाला कम नहीं करता, मैं भी

तुम्हें बता दूँगी की

मैं वो नदी हूँ जिसका बहाव

रोकना सम्भव नहीं,

मैं फिर एक नया रास्ता बना लूँगी,

क्योंकि मैं जानती हूं बीती बातों को

भूल आगे बढ़ने का हुनर



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