पर मैं बन गई हूं एक ज्वाला, जो जला देना चाहती, तुम्हारा समूचा वजूद। पर मैं बन गई हूं एक ज्वाला, जो जला देना चाहती, तुम्हारा समूचा वजूद।
अब तो करले अपने असली परिचय का मान, और अपने आप को जान। अब तो करले अपने असली परिचय का मान, और अपने आप को जान।
बचपन में परिपक्वता, मिला ज्ञान का योग । स्कूली शिक्षा त्याग कर, जन मानस संयोग बचपन में परिपक्वता, मिला ज्ञान का योग । स्कूली शिक्षा त्याग कर, जन मानस संयोग