STORYMIRROR

Shyam Kunvar Bharti

Romance

2  

Shyam Kunvar Bharti

Romance

हुकूमत तुम्हारी

हुकूमत तुम्हारी

1 min
321


बसी जो दिल में सूरत तुम्हारी

बनी क्या खूबसूरत मूरत तुम्हारी

भूलने की बात करते हो पर क्यो

अब भी मुझको जरूरत तुम्हारी


आसान होता मैं तुम्हें भूल जाता

भुला नहीं कभी मैं नसीहत तुम्हारी

कहो जो करूंगा गैर दिल न दूँगा

लिखा नाम दिल वसीयत तुम्हारी


था मैं गुलाम और गुलाम ही रहूँगा

कबूल है मुझको हुकूमत तुम्हारी

जिधर भी चलेगा संग मैं भी रहूँगा 

मर मिटा मैं हँसी दिलकश तुम्हारी



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance