हसरतें और भी हैं..!
हसरतें और भी हैं..!
हसरतें है..
रंगों में भिगोकर, इंद्रधनुष धरा पर खींच लाने की..!
हसरतें हैं..
जगमगाते जुगनूओं को, मुट्ठी में पल भर भींच लाने की..!!
हसरतें हैं..
तारों को गिन कर, बालपन में लौट जाने की..!
हसरतें है..
अब इस भीड़ को तज, एकला लौट आने की..!!
हसरतों का क्या है..किसी पल आ धमकती हैं..
पर इन हसरतों पर बैठ कर ही.. ज़िन्दगी सजती और संवरती है..
फिर ख्वाबों के रेशमी शाल पहन कर, स्वर्ण सा चमकती है...!!