हसरत
हसरत
कोई ठुकरा दे न नफरत कीजिए
प्यार उससे ही जबरदस्त कीजिए।
फासला रख के न कुछ हासिल हुआ
जीने की हर वजह खूबसूरत कीजिए।
हर खता उनकी नहीं थी क्या करूँ
कम किसी की ना अहमियत कीजिए।
तुम हसीं लम्हा कहाँ लेकर गए
बात सलीके से बेगैरत कीजिए।
आज हमसे ना शिकायत की गयी
यूँ जमा ना सूखे दरख़्त कीजिए।
चाँद देखते रोज़ ,मोहताज हो गए
कुछ अब्र को अदा तो कीमत कीजिए।
राहों मे काँटे बिखरने ना दिये
दर्द न दिया ना शिकायत कीजिए।
हर इजाजत दी शरारत की तुझे
पाने की "नीतू" को हसरत कीजिए ।
गिरह
हर दुआ का फिर असर जाता नहीं
अब भी मौका है इबादत कीजिए।

