हसी की क़ीमत
हसी की क़ीमत
मिले उधार ना मिले पैसे दे कर
ये खुशियां है ना मिले रो धो कर
बाँटकर हँसी अपने दुख छिपाए
हँसी ठिठोली करके हमारे मन को बहलाए
देखने दूसरों के चेहरे पर हसी
बदले खुदका लिबाज़ और
खुद को मज़ेदार बनाए
हँसी ठिठोली करके हमारे मन को बहलाए
होकर मशहूर जग में सारे
खुदकी परेशानियों को सावारे
दिग्गज भी कर न पाए ये काम
हँसी ठिठोली करके हमारे मन को बेहलाए
मोहताज एक एक सिक्के के लिए है ज़िंदगी
अपने मुश्किलों को छिपाए
उपहासक वो कहलाए
हँसी ठिठोली करके हमारे मन को बेहलाए
करके मनोरंजन लाखों का
खुद को जलाया है उसने
दुखों के सैलाब में खुदको बहाया
हँसी ठिठोली करके हमारे मन को बहलाए।