तेरे आघोष में....
तेरे आघोष में....
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जेसे चांद के आघोष में तरो को सजना है
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जेसे फूलों को सुंगंध से महकना है.......
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जेसे श्याम के दिल में राधा को ठहरना है
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जेसे तितलियों को फूलों पर मंडराना है
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जेसे भावनाओं को शब्दों में पिरोना है
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जेसे बादलों को बूंदों से सवरना है
खुशियों की बरसात में इस तरह तुझे भिगोना है
जैसे प्यार को विश्वास के धागे में बंधना है।
