हरपल रहे तुम्हें स्मरण
हरपल रहे तुम्हें स्मरण
एक आग है जो तुम्हारे हमारे प्रेम में
दहकती रहती है मेरे अंदर तेरे अंदर
मेरी भी अंगड़ाइयां मचलती हैं
तुम्हें भी करवटें जगातीं हैं
मेरे जिस्म के अंगारे दहकते हैं
मेरी आँखों में हो तुम हरदम
ज़िद पे रहता है कि हरपल हो सामने
अपने सिरहाने अपने सामने सिर्फ तुम चाहिए
मेरे जज़्बात में मेरे कल में मेरे आज में
बस हरपल हर जन्म में सिर्फ तुम हो मेरे साथ
ताकि सुकून से सिर्फ़ तुम्हें देख सकूं
पूरी हो जाएगी हमारी हर ख़्वाहिश
देख चुके होगे हमतुम दुनिया के हर सुख
कि इसके बाद तुम्हारे अंदर क्या रहा होगा
जिसे देखकर मैं उसको अधूरा समझूँ
और झोंक दूँ खुद को उसे पूरा करने में
तुम्हें मेरा दिया हुआ सुख हरपल रहे तुम्हें स्मरण
कि अब मर भी जाऊँ तुम्हारे लिए
तो वो थोड़ा होगा.....